रोहतक के डिप्टी वोल्स्टर से दीनबन्धु छोटूराम की टक्कर
sir chhotu ram history जब अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर मिस्टर वोल्स्टर से झडप हुई तो दीनबन्धु सर छोटूराम ने उसे ऐसा झटका दिया कि न उसकी इज्जत बची न ही कोई रौब | वह केवल हाथ मलता रहा गया | sir chhotu ram history
दोस्तों आपने मिस्टर वोल्स्टर से टक्कर का पिछला अध्याय sir chhotu ram history पढ़ लिया होगा अब हम आगे इस घटना को जारी रखते है | अगर आपने पिछला अध्याय नहीं पढ़ा तो आपको यह स्टोरी पूरी तरह समझ नहीं आएगी |
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चलिए शुरू करते है | निर्वासन तो नहीं हुआ किन्तु मिस्टर वोल्स्टर ने चौधरी छोटूराम के विरुद्ध ब्रिटिश किंग के खिलाफ विद्रोहात्मक प्रचार करने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के तहत मुकदमा चलाने की आज्ञा प्राप्त कर ली |
उसने सोचा कि या तो मुकदमें के दौरान छोटूराम माफ़ी मांग लेगा या जेल में सड़ेगा| जहाँ उसकी सारी ऐंठ निकल जाएगी किन्तु वोल्स्टर का यह वार भी खाली गया |
लाहौर में जब यह खबर पहुंची तो चौधरी लालचंद, सर उमर हयात खान, सरदार बहादुर गज्जन सिंह और सर सैय्यद मेहँदी शाह का डेपुटेशन गर्वनर पंजाब के पास पहुंचा | sir chhotu ram history
उन्होंने कहा यदि सर चौधरी छोटूराम जैसे विवेकशील व्यक्ति पर एक डिप्टी कमिश्नर के कहने से विद्रोही संदेह किया जा सकता है तो कल हम सब विद्रोही समझे जायेंगे | गवर्नर साहब ने मुकदमा चलाने का आर्डर रद्द कर दिया |
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एक हिन्दुस्तानी के मुकाबले में एक अंग्रेज़ को नीचा देखना पड़े यह बात वोल्स्टर को कब सहन हो सकती थी | उसने गवर्नर को चौधरी छोटूराम की जमीन जब्त करने की सिफारिस कर डाली |
पर ग्रामीण जनता के लगातार विरोध के कारण एक साल तक उन्हें जमीन का कब्जा न मिला, यहाँ भी वोल्स्टर को मुंह की खानी पड़ी | फिर भी वह अंग्रेज़ अफसर चुप नहीं बैठा | sir chhotu ram history
हम पढ़ रहे है sir chhotu ram history
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अब डिप्टी ने हाई कोर्ट को एक पत्र लिखा कि चौधरी छोटूराम, मीर मुस्ताक हसन, लाला श्यामलाल, लाला लालचंद जैन और चौधरी नवल सिंह पर ”लीगल प्रेक्टिशनर एक्ट” का मुकदमा चलाया जाये | sir chhotu ram history
हाई कोर्ट ने तत्कालीन सेशन जज लाला शिब्बन लाल को इस मामले की जाँच व सुनवाई के लिए नियुक्त किया, किन्तु उन दिनों चौधरी छोटूराम की यूनियनिस्ट पार्टी की समान आर्थिक हितों वाली नीतियों के चलते हिन्दू मुस्लिम में बहुत बड़ी एकता थी और एक अंग्रेज़ 5 हिन्दुस्तानियों को नीचा दिखाना चाहता था |
इसलिए उसे न कोई हिन्दू न ही कोई मुसलमान गवाह मिला और न ही किसी ने किसी भी तरह का कोई सहयोग ही किया |
अब वोल्स्टर ने लाला रामशरण दास को भेजकर समझौता करके इज्जत के साथ मुकदमा खत्म करने की कोशिस की |
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लेकिन चौधरी छोटूराम ना तो माफ़ी मांगने के लिए तैयार हुए न ही उन्होंने यह कहा कि उनके ऊपर से मुकदमा उठा लिया जाये |
लाला रामशरण ने चौधरी साहब को यहाँ तक कहा कि मैं ही आपकी तरफ से माफ़ी मांगकर मिस्टर वोल्स्टर से मुकदमा उठाने के लिए कह दूँ
पर चौधरी छोटूराम को यह भी स्वीकार न था | उन्होंने साफ़ कह दिया कि एक अंग्रेज़ अपने अधिकार के बल पर चाहे जैसा मुकदमा चलाकर हमे दबाने की कोशिस करता है | उसके सामने दब जाने का मतलब है हमारा अपने खून को कायर बताना |
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इस समय सवाल एक हाकिम और एक वकील का नहीं है, सवाल है एक हिन्दुस्तानी और अंग्रेज़ का |
मुझे विश्वास है जीत हमारी ही होगी क्योंकि हम सत्य पर अडिग है | अत: लाला रामशरण खाली हाथ वोल्स्टर के पास लौट आये |
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हुआ भी यही सेशन जज लाला शिब्बन लाल ने रिपोर्ट पेश कर दी कि इस प्रकार का कोई सबूत नहीं है जिनसे इन लोगों पर मुकदमा चलाया जा सके |
हाई कोर्ट ने भी सबूतों के अभाव में फाइल को दफ्तर दाखिल करने का निर्णय दे दिया | मिस्टर वोल्स्टर हाथ मलता रहा गया |
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